पण्डित छन्नू लाल मिश्र ने परिवार से पीड़ित होने का आरोप लगाया,मीडिया को बतायी अपनी आपबीती..
पण्डित छन्नू लाल मिश्र ने परिवार से पीड़ित होने का आरोप लगाया,मीडिया को बतायी अपनी आपबीती..
प्रधानमंत्री मोदी के चुनाव के नामांकन मे प्रस्तावक रहे और वर्ष 2020 में पद्म विभूषण, वर्ष 2010 में पद्मभूषण वर्ष 2000 में संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार से सम्मानित छन्नूलाल मिश्रा अपने ही परिवार से पीड़ित हैं। वर्तमान में अपनी बेटी के साथ वाराणसी छोड़कर मीरजापुर में रहने के लिए मजबूर हैं। संस्कृति मंत्रालय (उत्तर-केंद्रीय) सरकार के सदस्य होने पर भी छन्नू लाल मिश्र का दर्द और लाचारी को कोई देखने -सुनने वाला नहीं है उनको अपनी बात कहने के लिए मीडिया का सहारा लेना पड़ा।
बता दें कि संगीत कला में विश्व प्रसिद्ध ठुमरी गायक छन्नू लाल मिश्र अपने ही बेटे और पोते की धमकी से भय के साये में घुट - घुट कर जीने के लिए मजबूर हैं। पारिवारिक पीड़ा और शारीरिक बीमारी से लाचार पण्डित छन्नू लाल मिश्र जी को वाराणसी की धरती छोड़ने पर मजबूर कर दिया गया।वह भारत की धरोहर से आज न्याय की गुहार लगा रहे है। लेकिन उनकी बेबसी को सुनने वाला सुध लेने वाला अभी कोई आगे नहीं आया है। वह प्रधान मंत्री मोदी से बात करना चाहते हैं लेकिन उनका नंबर नहीं है इसलिए अपनी बातों को पहुंचाने के लिए वह मीडिया का सहारा ले रहे है।इसके साथ ही शासन प्रशासन के लोगों से अपनी और अपनी बेटी की हिफाजत की गुहार लगा रहे हैं।
बता दें कि पंडित छन्नूलाल मिश्र का जन्म 3 अगस्त 1936 में उत्तर प्रदेश के आज़मगढ़ ज़िले में हुआ था। लेकिन कर्मभूमि वाराणसी रहा है। वहीं पिछले दो साल से गुमनामी के हालत में मीरजापुर में रह रहे हैं। ताकि अपनी और बेटी की जान की हिफाजत हो सके। छन्नू लाल मिश्र जमाने की वह महान हस्ती हैं जिनको भारत के तीन महामहिम राष्ट्रपति सम्मानित कर चुके हैं और प्रधान मंत्री मोदी जी के दाखिल नामांकन पत्र में प्रस्तावक रहे हैं और अमिताभ बच्चन, सोनू निगम से लेकर तमाम फिल्मी हस्तियां का मिलना अपना सौभाग्य समझते हैं। वहीं उस छन्नू लाल मिश्र की वर्तमान में लाचारगी, बेबसी और भय की हालात खुद ब खुद अपनी कहानी बयां कर रही है।
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